बस Xxx गांड सेक्स कहानी में मैं रात की लम्बी दूरी की लक्ज़री बसमें सबसे पीछे की सीट पर था. मेरे साथ एक अंकल आ गए. अंकल में मेरी गांड चाट कर मेरी गांड मारी.
दोस्तो, मेरा नाम मयंक है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ.
मेरी उम्र 22 साल है. मैं दिखने में गोरा हूँ.
मेरे परिवार में मैं, मेरे पापा मम्मी और एक बहन और एक भाई है.
यह मेरी सच्ची बस Xxx गांड सेक्स कहानी है … जो मैं आप लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं.
मेरी गांड बिल्कुल लड़कियों जैसी बड़ी और गोरी है. मुझे टाइट कपड़े पहनना पसंद है.
एक दिन मेरी मम्मी के पास मेरी बुआ जो गांव में रहती हैं, उनका कॉल आया.
उन्होंने बताया कि उनके घर में पूजा है और सबको आना है.
मम्मी ने किसी वजह से जाने से मना कर दिया.
पापा और भाई भी काम में बिजी थे, तो उन्होंने भी मना कर दिया.
मम्मी ने मुझे जाने को कहा तो मैं मान गया.
तो मम्मी ने बुआ को बता दिया कि मैं आ रहा हूँ.
मैंने अपनी पैकिंग की, थोड़े कपड़े रखे और फिर रात को जल्दी खाना खाकर सो गया.
अगले दिन सुबह उठा, नहा धोकर नाश्ता करके मैं आनन्द विहार बस अड्डे के लिए निकल गया.
मैंने कैब पकड़ी और निकल गया.
आधे घंटे में मैं वहां पहुंच गया.
बस आने में टाइम था तो मैं वहीं थोड़ा इधर उधर घूमने लगा, सेक्सी सेक्सी औरतों के दर्शन करने लगा.
थोड़ी देर में बस आई, मैं जल्दी से अपना सामान लेकर बस में चढ़ गया और पीछे की सीट पर बैठ गया.
कुछ मिनट बाद बस वहां से चल दी.
मैं आराम से बैठा अपना फोन चलाने लगा.
थोड़ी देर बाद टिकट कंडक्टर मेरे पास आया.
मैंने अपनी टिकट ली और टिकट कंडक्टर मेरे पास से चला गया.
मैं अपने फोन में अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी पढ़ने लगा.
मुझे पढ़ते पढ़ते नींद आने लगी तो मैं फोन रख कर सो गया.
मैं गहरी नींद में सो रहा था, तभी बस में झटका लगने से मेरी आंख खुली देखा.
बस ढाबे पर आकर रुक गई थी.
मुझे भूख भी लग रही थी तो मैं बस से उतर कर कुछ खाने चला गया.
मैंने खाना खाया और एक ठंडे पानी की बॉटल खरीद कर वापिस अपनी सीट पर आकर बैठ गया.
मैं बस में आया तो देखा कि मेरी साइड वाली सीट पर किसी का सामान रखा था, पर वहां कोई नहीं था.
मैंने सोचा आया होगा कोई … मैं अपनी सीट पर बैठ गया और फोन में फ्री सेक्स कहानी साईट पर वीडियो देखने लगा.
थोड़ी देर में कंडक्टर ने बस चलने की आवाज दी तो सब बस में वापिस आने लगे.
मेरे पास एक करीब 40 साल के अंकल आए और मेरी साइड वाली सीट पर बैठ गए.
बस चलने लगी, मैं बहुत बोर होने लगा था.
तभी उन अंकल ने मुझसे पूछा- तुम कहां जा रहे हो?
मैंने उन्हें बताया.
फिर मैंने भी उनसे पूछा तो वह भी वहीं जा रहे थे.
ऐसे ही हमारी इधर उधर के बारे में बातें होने लगीं.
अंकल से बात करते हुए मेरा सही टाइम पास हो रहा था.
पता ही नहीं चला कब शाम हो गयी और अंधेरा होने लगा.
सर्दी के टाइम अंधेरा जल्दी हो जाता है.
मुझे नींद आने लगी तो मैं सीट पर सर रख कर सो गया.
मैं गहरी नींद में सो रहा था, मुझे ठंड लगी तो मेरी आंख खुल गई.
मैंने अपना बैग खोला, तो याद आया कि मैं चादर लाना भूल ही गया.
तब मैंने सोचा अब पता नहीं रात कैसे गुजारूंगा.
मैंने अपनी जैकेट उतार कर ओढ़ ली पर उससे भी ठंड नहीं रुक रही थी.
अंकल ने मुझे देखा तो उन्होंने मुझसे कहा- तुम मेरी चादर में आ जाओ बेटा.
मुझे बहुत ज्यादा ठंड लग रही थी तो मैं अंकल की चादर में घुस गया.
हम दोनों एक ही चादर ओढ़े लेटे हुए थे.
मैं कानों में हेडफोन लगा कर गाने सुनते सुनते सो गया.
रात को करीब 8 बजे मुझे कुछ महसूस हुआ तो मेरी आंख खुल गई.
मैंने देखा तो चादर के अन्दर अंकल मेरी जांघों को सहला रहे थे और साथ साथ अपने लंड को भी सहला रहे थे.
सच कहूं तो मुझे अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने उनसे कुछ नहीं कहा, उन्हें करने दिया.
मैं आंख बंद करके बस उनके हाथों का मजा ले रहा था.
अंकल ने देखा कि मैं सो रहा हूँ या नहीं.
मैं अपनी आँख बंद करके लेटा था.
जब अंकल को लगा कि मैं सो रहा हूँ, तो वे हाथ ऊपर लाने लगे.
सहलाते सहलाते वह अपना हाथ मेरी शर्ट के अन्दर ले गए और मेरे एक निप्पल को सहलाने लगे.
मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मुझसे रहा नहीं गया और मेरी सिसकी निकल गई ‘आह आह.’
वे समझ गए कि मैं जाग रहा हूँ और मुझे भी मजा आ रहा है.
अब वे मेरे निप्पल को सहलाते हुए मेरे कान के पास आए और धीरे से बोले- बेटा, मज़ा आ रहा है ना!
मैंने भी कह दिया- हां अंकल बहुत!
उन्होंने कहा- तो बेटा आंखें खोल कर मज़ा लो न!
मैंने अपनी आंखें खोल दीं.
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और चादर के अन्दर लोअर के ऊपर से अपने लंड पर रख दिया.
आह … क्या बताऊं दोस्तो, अंकल का लंड इतना लंबा और मोटा था कि बस मजा आ गया.
मैं उनके लंड को सहलाने लगा.
धीरे धीरे अंकल ने मेरी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और चादर के अन्दर घुस कर मेरी छाती पर चूमने लगे.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
मैंने भी उनके बालों को सहलाते हुए उनके लौड़े को पजामे से बाहर निकाल दिया और सहलाने लगा.
अंकल मेरे निप्पल को चूसने लगे.
मैं ‘उम्म्म म्मआ ह्ह्ह अंकल …’ करता हुआ उनका लंड जोर जोर से हिलाने लगा.
अंकल चादर से बाहर मुँह करके मेरे होंठों को चूसने लगे.
मैं भी उनका पूरा साथ देने लगा.
हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे को चूम रहे थे, एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे.
हम दोनों ने दस मिनट लगातार एक दूसरे को चूमा.
फिर अंकल रुक गए और सीधे होकर बैठ गए.
अंकल ने मुझे उनके लंड की तरफ इशारा किया, मैं समझ गया, वे मुझे लंड चूसने को कह रहे थे.
मैं इधर उधर देखने लगा तो अंकल ने कहा- डरो मत, कोई नहीं देखेगा. हम कोने की सीट पर हैं … और देखो अब अंधेरा भी हो चुका है.
उनकी बात सुन कर मैं भी बिना सोचे नीचे चादर के अन्दर घुस कर उनके लंड को अपनी जीभ से चाटने लगा.
अंकल ‘उम्मम्म आह्ह …’ कर रहे थे.
कुछ ही पलों में मैंने उनका पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा.
अंकल भी मेरा सिर अन्दर दबाते हुए पूरा मजा लेने लगे.
‘आआह आहह आआहह …’ करते हुए वे मेरे मुँह को चोद रहे थे.
मैं भी पूरे जोश में उनका लंड गले के अंतिम छोर तक ले जाकर चूस रहा था.
इस वजह से मेरे मुँह में थूक की लार भर गई थी.
मेरे मुँह से गल्प लप लप की आवाजें आ रही थीं.
अंकल भी सों सों की आवाज करते हुए लंबी लंबी सांसें भर रहे थे और पूरे जोश में नीचे से झटके दे रहे थे.
फिर अंकल ने मुझसे रुकने को कहा.
मैं मुँह में लंड रखे रखे रुक गया.
मेरे रुकते ही अंकल मेरे बाल पकड़ कर पूरे जोश में नीचे से झटके देने लगे.
वह इतनी जोश में मेरा मुँह चोद रहे थे कि मेरे मुँह में भरा थूक बह कर मुँह से बाहर आने लगा और उनकी जांघों पर आने लगा.
मेरा मुँह पूरा लाल हो गया था. मेरे मुँह से बस गऑन गऑन की आवाजें आ रही थीं.
उधर अंकल भी ‘आह ले मादरचोद …’ कहते हुए पूरे जोश में झटके दे रहे थे.
लगातार दस मिनट तक मेरा मुँह ऐसे चोदते हुए वे रुके और मेरे मुँह से लंड बाहर निकाल दिया.
मैं लंबी लंबी सांसें लेने लगा और हाथों से उनके लंड को ऊपर नीचे करके उनके लंड पर लगे थूक से उनका लंड चिकना करने लगा.
अंकल ने मुझे चादर से बाहर निकाला और मेरे होंठों को चूसने लगे.
मैं भी उनका साथ देने लगा.
लंबी लंबी किस करते करते उन्होंने मेरी जींस का बटन खोल दिया और मेरी गांड पर प्यार से एक थप्पड़ दे दिया.
मैं समझ गया और मैंने अपनी गांड तुरंत ऊपर उठा दी.
अंकल ने मेरी जीन्स पकड़ी और नीचे घुटने तक खींच दी.
अब अंकल ने मुझे गोद में उठाया और चादर के अन्दर लेकर मुझे विन्डो वाली सीट पर अपनी गोद में बैठा लिया.
मैं पूरा नंगा था.
अंकल ने मेरी गर्दन पर चूमते हुए अपना कुर्ता उतार दिया और उन्होंने मुझे थोड़ा उठने को कहा.
मैं उठ गया.
मेरे उठते ही अंकल ने अपना पजामा निकाल दिया और मुझे वापिस अपनी गोद में बैठा कर मेरी गर्दन पर चूमने लगे.
मैं ‘उम्म उम्म …’ करता हुआ मज़ा लेने लगा.
चूमते चूमते अंकल मेरे निप्पलों को दबा रहे थे.
मैं नीचे से अपनी गांड को उनके लौड़े पर रगड़ रहा था.
थोड़ी देर बाद अंकल रुक गए.
उन्होंने मुझे सीट पर घोड़ी बनने को कहा.
मैं भी तुरंत सीट पर घोड़ी बन गया.
अंकल मेरी पीछे वाली सीट पर थे.
मेरे घोड़ी बनते ही मेरी मोटी गांड उनके चेहरे के पास आ गई थी.
मेरी मखमली गांड देख कर मानो वह पागल से हो गए थे.
वह दोनों हाथों से मेरी गांड दबाने लगे और जीभ को गांड के होल पर रख कर चाटने लगे.
उनके ऐसे चाटने से मैं पागल सा होने लगा.
मैं पीछे हाथ करके उनका सिर अन्दर दबाने लगा- उम्मम्म आहह अंकल … और अन्दर और अन्दर बहुत अच्छा लग रहा है.
अंकल- आह साले … आज तो मजा ही आ जाएगा … क्या मखमली गांड है तेरी!
ऐसे ही गांड दबाते दबाते उन्होंने पूरी जीभ होल में घुसेड़ दी और जोर जोर से चूसने लगे.
‘उम्मम्म आआउम्म अंकल पागल कर दोगे आप तो मुझे … आहह चाटते रहो अंकल आह.’
लगातार 15 मिनट तक उन्होंने मेरी गांड को चाटा और उन्होंने मुझे लंड चूसने को कहा.
मैंने भी बिना देर किए मुड़ कर उनका लंड मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा.
मैंने कुछ पल बिना रुके उनका लंड चूसा.
हम दोनों इतने गर्म हो गए थे कि हम भूल ही गए थे हम बस में हैं.
मगर हम दोनों बिना डरे बस अपना मजा उठा रहे थे.
लंड को चूसने के बाद अंकल ने मुझे दोबारा घोड़ी बना दिया.
मैं सीट को पकड़ घोड़ी बन गया.
अंकल पीछे से एक टांग सीट पर रख कर और एक टांग नीचे जमीन पर रख कर मेरी गांड के पास अपना लंड ले लिया.
उन्होंने मेरे होल पर लंड सैट कर दिया और मेरी कमर पकड़ ली, लंड को गांड के छेद पर रख कर तेज रगड़ने लगे.
मैं- आहह अंकल, अब और मत तड़पाओ … प्लीज़ डाल दो अन्दर.
मेरे इतना बोलते ही अंकल ने ज़ोर से झटका मारा और उनका आधा लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया.
मेरी चीख इतनी जोर से निकलने वाली हो गई थी कि सारी बस में हल्ला हो जाता.
मैंने झट से अपना हाथ मुँह पर रख दिया. इससे मेरी चीख अन्दर ही रुक गई.
अंकल मेरी कमर पकड़ के धीरे धीरे आगे पीछे करते हुए झटके देने लगे.
थोड़ी देर बाद मेरा दर्द गायब हो गया.
मैं गांड आगे पीछे करने लगा.
अंकल समझ गए और उन्होंने मेरी कमर को पकड़ एक और ज़ोरदार झटका मारा.
उनका पूरा लंड मेरी गांड में भर गया.
इस बार मुझे दर्द के साथ साथ मज़ा भी बहुत आया.
मैं प्यार भरी आवाज में कराहा- आह्ह्ह आह … मेरी गांड फट गई अंकल.
अंकल मेरी कमर पकड़ के आगे पीछे होकर झटके देने लगे.
मैं ‘आह आह … चोदो मुझे चोदो मुझे’ कहने लगा.
अंकल मेरे मुँह से ये सुन जोश में झटके देने लगे.
आह्ह ह्हह आह्ह ह्हह करते हुए हम दोनों चुदाई में पूरे मस्त मजा ले रहे थे.
अंकल ने लगातार 15 मिनट तक मुझे घोड़ी बना कर चोदा.
फिर वे रुक गए.
उन्होंने लंड बाहर निकाला और सीट पर बैठ मुझे अपनी गोद में आने को कहा.
मैं उठ कर उनकी गोद में टांगें फैला कर लंड को गांड पर सैट करके बैठने लगा.
धीरे धीरे अंकल का पूरा लंड मेरी गांड में चला गया.
मैं अंकल के लंड पर उछलने लगा.
‘आह्ह अंकल बहुत अच्छा लग रहा है.’
अंकल भी मेरी क़मर चूमते हुए ‘आह ले ले मेरी रंडी’ कह रहे थे.
मैं पूरे जोश में उनके लंड पर उछल रहा था.
दस मिनट बाद अंकल ने मेरी दोनों टांगें पकड़ीं और आगे वाली सीट के ऊपर रख कर नीचे से मेरी गांड पकड़ कर जोर जोर से झटके देने लगे.
‘आह्ह्ह्ह अंकल ऐसे ही ऐसे ही आआह चोदो चोदो.’
नीचे से अंकल फुल जोश में झटके देते हुए मजा ले रहे थे.
‘आआह बहुत मस्त गांड है बेटा तेरी आह आआह मजा आ गया बेटा.’
अंकल ने लगातार काफी देर तक मुझे वैसे ही चोदा और अंकल रुक गए.
अब उन्होंने मुझे जमीन पर उल्टा लेटने को कहा.
मैं भी बिना देर किए सीट के पीछे जमीन पर लेट गया.
अंकल पीछे से मेरे ऊपर आकर लेट गए और बिना देर किए उन्होंने लंड अन्दर डाल दिया.
वे मेरे ऊपर लेट कर जोर जोर से आगे पीछे होते हुए मेरी गांड मारने लगे.
‘आह अंकल बहुत मस्त चोदते हो आप … आह.’
‘बेटा तू भी बहुत मस्त चुदवाता है …’
‘आआह उम्म हां … अंकल चोदो मुझे चोदो … मुझे चोदो मुझे.’
अंकल पूरे जोश में कभी जोर जोर से आगे पीछे होकर तो कभी उछल उछल कर मेरी गांड मार रहे थे.
करीब दो मिनट बाद अंकल जोर जोर से आआह आह करने लगे.
उन्होंने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला और सीट पर बैठ गए.
मैं भी समझ गया कि अंकल झड़ने वाले हैं.
तो मैं जमीन पर बैठा हुआ उनके पास आ गया और उनके लंड को मुँह में भर कर जोर जोर से चूसने लगा.
दो मिनट बाद अंकल मेरे मुँह में तेज आहह करते हुए झड़ने लगे.
मैं उनके लंड के पानी को मुँह में भरने लगा.
बस Xxx गांड सेक्स करके अंकल झड़ कर शांत हो गए.
मैं मुँह में भरे गाढ़े सफेद स्पर्म को पी गया और उनके लंड को चूस कर पूरा साफ कर दिया.
फिर हम दोनों सीट पर जाकर बैठ गए. हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए.
मैंने फोन में टाइम देखा तो 4 बज रहे थे.
मुझे पहुंचने में अभी भी पूरा एक घंटा बाकी था.
मैं और अंकल चादर ओढ़ कर एक दूसरे से चिपक कर किस करने लगे.
हमने देर तक किस की.
अंकल ने मुझसे पूछा कि मैं कहां रहता हूँ?
तो मैंने उन्हें बता दिया.
अंकल ने भी मुझे बताया कि वे भी दिल्ली से ही हैं. अंकल ने मुझे अपना नम्बर दे दिया … और मुझे वापिस किस करने लगे.
किस करते करते अंकल ने मेरा हाथ अपने लंड पर रखा तो वह दोबारा टाइट हो चुका था.
अंकल ने मुझे आंख मारी तो मैंने उन्हें मना किया कि अब टाइम नहीं है.
तो अंकल ने मुझसे कहा कि सिर्फ मुँह से कर दो.
मैं नहीं मान रहा था क्योंकि मुझे डर था कि कोई देख ना ले, सुबह हो चुकी है.
पर अंकल जिद किए जा रहे थे.
मैंने फोन में टाइम देखा तो अभी भी समय बाकी था.
मैं मान गया और तुरंत चादर के अन्दर घुस कर अंकल का लंड बाहर निकाल कर तेज़ी से चूसने लगा.
अंकल चादर के ऊपर से मेरा मुँह अन्दर दबा रहे थे.
मैं मस्ती में उनके लंड को चूस रहा था.
अचानक अंकल ने मेरा मुँह जोर से अन्दर दबाया.
उनका लंड मेरे गले पर जा रुका.
मैं छटपटा रहा था पर अंकल ने मेरा मुँह वैसे ही अन्दर डाल कर रखा.
मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, पर अंकल मुझे नहीं छोड़ रहे थे.
तभी मुझे मुँह में कुछ गर्म गर्म महसूस हुआ.
वह अंकल का मूत था.
अंकल मेरा सर वैसे ही अन्दर दबा कर मेरे मुँह में मूतने लगे.
मुझे ना चाहते हुए भी वह मूत अन्दर लेना पड़ा.
उन्होंने मेरे मुँह में इतना मूता कि पूरा पीने के बाद भी मूत मुँह से आधा बाहर बह रहा था.
सच बताऊं तो पीने के बाद वह मुझे गंदा नहीं बल्कि बहुत अच्छा लगा.
इतना अच्छा कि जो मूत अंकल की जांघों पर बह रहा था, मैंने उसे भी चाट कर साफ़ कर दिया.
मैंने वापिस उनका लंड मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा.
अंकल आआह आआह करते हुए मज़ा लेने लगे.
मैंने फोन में टाइम देखा तो बस दस मिनट रह गए थे.
मैंने अंकल का पूरा लंड मुँह में भरा और पागलों की तरह चूसने लगा.
दो मिनट बाद ही अंकल आआह आआह करते हुए मेरे मुँह में झड़ने लगे.
मैं उनका पूरा रस पी गया और लंड चूस कर साफ़ कर दिया.
अब मैं अपनी सीट पर ठीक होकर बैठ गया.
थोड़ी देर बाद कंडक्टर ने आवाज लगाई और लोगों को उतरने के लिए कहा.
मैंने अपना बैग लिया नीचे उतर गया.
अंकल को भी वहीं उतरना था तो वे भी मेरे पीछे पीछे उतर गए.
बस वहां से चली गई और मैं और अंकल आगे आगे जाने लगे.
थोड़ी दूर जाकर अंकल को जंगल सा दिखा.
अंकल ने मुझे झाड़ियां दिखाईं.
मैं समझ गया कि अंकल क्या चाहते हैं.
मैंने भी अंकल को एक स्माइल की.
मैं और अंकल उस जंगल में घुस गए.
अन्दर जाकर अंकल ने दोबारा मेरी आधा घंटा तक गांड मारी.
मैंने उनका रस पिया और हम दोनों वहां से वापस निकल आए.
मैंने बाहर आकर एक जाते हुए ई-रिक्शा को रोक लिया और अंकल को बाय बोल कर चला गया.
Leave a Reply